अमृत गंगा S2-47
अमृत गँगा,सीज़न २ की सैंतालीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि जीवन एक नदी समान है। इसके तटवर्ती निवासी नदी का केवल एक भाग देख पाते हैं। पर इसका अर्थ यह नहीं कि नदी उतनी ही है, जितनी उन्हें दिखाई देती है। हम इसका न स्रोत देखते हैं, न ही गंतव्य! ऐसा ही है जीवन भी! इसका न आदि है न अंत..बस बहता जाता है।
इस कड़ी में, अम्मा की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दूसरे नगर सिडनी को दिखाया जा रहा है और साथ ही अम्मा द्वारा गाया भजन, ‘सिर में मयूर..’

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