अमृत गंगा S2-38
अमृत गँगा सीज़न २ की अड़तीसवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि अगर हममें अच्छा शिष्य बनने की उत्कण्ठा है तो हमें अपने गुरु को अपना घनिष्ठ मित्र समझना चाहिए। एक अच्छे, सच्चे मित्र की बात मानना हमारे लिए आसान होता है। उसकी बात हम खुले ह्रदय और पूरी एकाग्रता के साथ सुनते हैं। धीरे-धीरे शिष्यत्व भक्ति एवं समर्पण का रूप ले लेता है। मित्रता प्रेम पर आधारित होती है। यह प्रेम का आधार है;दो नहीं एकमात्र है! राधा कृष्ण हो गई और कृष्ण राधा! अध्यात्म में द्वैत के लिए कोई स्थान नहीं!
इस कड़ी में अम्मा की उत्तरी अमेरिकी यात्रा जार्जिआ में एटलांटा पहुंची है। इसी कड़ी में अम्मा जो भजन गए रही हैं वो है, हे कृपामयी अम्बे..

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