अमृत गंगा S2-28
अमृत गँगा,सीज़न २ की अट्ठाईसवीं कड़ी में,अम्मा कहती हैं कि अनुशासन की आवश्यकता हमारे अपने हितार्थ है। शरीर और मन को उपयोगी पात्र होना चाहिए। यदा-कदा उपवास करने से शरीर के भीतरी अवयवों की शुद्धि होती है। अंतःकरण की शुद्धि के लिए यम-नियम के पालन की आवश्यकता होगी।
इस कड़ी में अम्मा की यूरोप यात्रा फ़िनलैंड पहुँच गई है। इस कड़ी में अम्मा जो भजन गा रही हैं.वो है..मेरे ह्रदय श्रीराम..

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