अमृत गंगा S2-25
अमृत गँगा सीज़न 2 की पच्चीसवीं कड़ी.. अम्मा बता रही हैं कि जगत देवी का ही विस्तार-मात्र है। सब संकटों से रक्षा और उनकी आवश्यकताएं पूरी करके, उनका पालन-पोषण करना माँ का धर्म होता है। वो देती है, दिए जाती है! हम प्रकृति से कितना लेते हैं! हमें अपने भीतर केवल आवश्यकतानुसार लेने का मनोभाव जगाना चाहिए। तनिक सोचें, ‘हम’ समाज को क्या दे सकते हैं! इस कड़ी में, अम्मा अपनी यूरोप यात्रा में हमें म्यूनिख, जर्मनी लिए चल रही हैं।
इस कड़ी में अम्मा भजन गा रही हैं :गोपबालका गोकुलेश्वरा।

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