अमृत गंगा S2-20
अमृत गँगा,सीज़न २ की बीसवीं कड़ी में अम्मा कह रही हैं कि हमारी आदतें हमारा स्वभाव बन कर हमें अपने वश में कर लेती हैं। हम राग-द्वेष और अपनी आदतों के दास हैं। चूँकि हम क्षणिक सुखों के पीछे भागते रहते हैं इसीलिये आध्यात्मिक स्वातंत्र्य अथवा आनन्द को अनुभूत नहीं कर पाते। हमें अपनी आदतों और पूर्वाग्रहों पर विजय पानी ही होगी। यदि हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति का दृढ निश्चय कर लें तो सोत्साह आगे बढ़ सकेंगे।
इस कड़ी में अम्मा की यूरोप की यात्रा हॉफ़ हेरेनबर्ग, जर्मनी से शुरू हो रही है। इस कड़ी में हम अम्मा के मुख से जो भजन सुनेंगे वो है..गजमुख गजमुख…

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