अमृत गंगा S2-13
अमृत गँगा, सीज़न २ की तेरहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि देश और काल कर्म के सिद्धान्त में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। कर्मफल हमारा पीछा करेंगे ही। अधर्मी लोग भाग कर कहीं भी चले जाएँ, शान्ति नहीं मिलेगी! हम जो बोयेंगे, वही काटना पड़ेगा। इसीलिये अम्मा हमेशा हमें कुछ बोलने या कर्म करने से पहले सोचने को कहती हैं। हम इस बारे में सचेत हों या नहीं, पर हमारे सभी कर्मों की प्रतिध्वनि समूची सृष्टि में होती है।
इस कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा जयपुर में जारी है। इसी कड़ी में आप अम्मा का गाया भजन सुनेंगे…’प्रभु बिन जीवन कैसे बीता’!

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