अमृत गंगा S2-12
अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता है। हर कोई अपनी ही दुनियाँ में खोया है। आध्यात्मिकता हममें इस भाव को जागृत करती है कि हम अलग-थलग बिखरे हुए द्वीप नहीं बल्कि एक ही श्रृंखला की कड़ियाँ हैं। दूसरों के लिए थोड़ी सी भी जगह बनाएं तो हम एक श्रृंखला बना सकते हैं।
इस कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा अमदावाद में जारी है। और इस कड़ी में आप अम्मा को हिन्दी भजन, ‘सुन्दर हैं नैनां…’ गाते हुए सुन सकेंगे।

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