अमृत गंगा S2-11
अमृत गँगा, सीज़न 2 की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें दूसरों पर आश्रित हुए बिना अपने भीतर ही आनन्द खोजना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि दूसरे लोग हमें कभी भी छोड़ कर जा सकते हैं। हम जान लें कि सच्चा सुख तो अपने भीतर ही पाया जा सकता है। यदि हम अमृत का स्वाद चखने की कोशिश में इधर-उधर भटकते रहेंगे तो हमें नकली फूलों की ही प्राप्ति होगी! इसीलिये हमें गुरु के सान्निध्य में रहते हुए,वैराग्य का अभ्यास करना चाहिए। जब हमारे भीतर वैराग्य का उदय होता है तो यह हमें अपने स्वरुप के निकट ले जाता है।
इस कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा अमदावाद की ओर चली है। इस कड़ी में, अम्मा यह भजन गा रही हैं, यमुना तीर विहारा…

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