अमृत गंगा S2-09

अमृत गँगा सीज़न २ की नवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि कर्म का क्षेत्र बड़ा निगूढ़ है। हमारा जन्म पूर्वजन्मों के कर्मानुसार होता है। कभी-कभी, ग्रहों की प्रतिकूल गति के चलते, हम बेबस हो जाते हैं। अगली साँस तक हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन डरने की कोई बात नहीं। वर्तमान क्षण भविष्य का निर्णायक होता है। वर्तमान क्षण में हमें विवेक-सहित कर्म करने चाहियें। बस इतना ही कर सकते हैं हम! हमें मनन करके स्वयं से पूछना होगा कि क्या हम जीवन में होनी क्षमताओं का सदुपयोग कर रहे हैं? इस कड़ी में, अम्मा की भारत यात्रा मुम्बई में जारी है।

इसी कड़ी में अम्मा भजन गा रही हैं, ‘कृष्ण वासुदेव हरे..’