अमृत गंगा S2-08
अमृत गँगा के सीज़न २ की आठवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं..हालाँकि हमें ऐसा मालूम होता है कि हमारा समय ख़राब चल रहा है..लेकिन असल में समय अच्छा या बुरा नहीं होता। ईश्वर ने अच्छाई या बुराई की छूट हमें दे दी है। जो हमारे अनुभव में आता है, वो इसी छूट का परिणाम है। हम अपनी राह में अँधियारा भी बिखेर सकते हैं या उजियारा! अँधेरे में, हम टॉर्च ले कर चलें तो हमें रस्सी में साँप की भ्रान्ति नहीं होगी। हमें प्रत्येक वस्तु ज्यों की त्यों दिखाई पड़ेगी। जब हमारे भीतर बोध का उदय होता है तो हम प्रत्येक वस्तु को जस का तस देखते हैं। हम वस्तुओं के स्वभाव से परिचित हैं, अतः संकट को टाल सकते हैं।
इस कड़ी में, अम्मा की भारत-यात्रा का रुख़ मुंबई की ओर है। इसी कड़ी में, अम्मा का भजन ‘माँ नाम बोले..’ प्रस्तुत है!

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