अमृत गंगा S2-05

अमृत गँगा, सीज़न २ की पाँचवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि जगत में रहते-रहते हम वासनाओं का निर्माण कर लेते हैं। लेकिन जब तक वासनाएं हैं, तब तक दुःख भी रहेंगे। जहाँ आग है, वहां धुआँ तो होगा! जब मन का झूला सुख की ओर जा रहा होता है, तब दुःख की ओर जाने की तैयारी होती है, clock के pendulum की तरह। दुःख आये तो हमें practical होना चाहिए। उचित कर्म करने चाहियें। जीवन में अनेकों समस्याएं आ सकती हैं लेकिन हमें उन पर विजय पाने के उपाय ढूंढने होंगे।

इस कड़ी में, अम्मा की भारत-यात्रा हैदराबाद की ओर जारी रहेगी। भजन – राम हमारे शाम हमारे!