अमृत गंगा 31
अमृत गंगा की प्रस्तुत इकतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि क्षमा करना आसान तो नहीं, पर हमें कोशिश करनी चाहिए। अक्सर, हम दोनों तरफ़ की कहानी तो सुनते नहीं; दोनों को सुनने के बाद ही कुछ निर्णय लेना चाहिए। एक ही पक्ष की बात सुन कर, जल्दबाज़ी और तैश में आ कर फ़ैसला करना ठीक नहीं होता। दोनों तरफ़ की बात सुनने के बाद ही, हम स्थिति को समझ सकते हैं। बीती बातों को विवेकपूर्वक भुला कर, हमें क्षमा कर देना चाहिए।
इस कड़ी में, आप आनन्द लेंगे, अम्मा सिंगापुर की यात्रा का और अम्मा के गाये भजन, जय जय माता.. का!

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