अमृत गंगा 26
अमृत गंगा की छब्बीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि उपदेश पाने के बाद भी, हम उस पर ध्यान नहीं देते। हम नाहक ही मुसीबतें खड़ी करके, उनमें फंस जाते हैं। तनाव और चिंता मुफ़्त मिलते हैं इसलिए हम उन्हें जी भर ले लेते हैं। इसके फलस्वरूप कई बीमारियाँ हो सकती हैं, लेकिन हम उस कीमत के प्रति जागरूक नहीं रहते। इस तरह, हमारा जीवन बर्बाद हो सकता है। कोई भी समस्याओं से मुक्त नहीं है। आध्यात्मिकता हमें ऐसी परिस्थितियों से निपटने या स्वीकार करने योग्य उचित मनोभाव विकसित करने में सहायता करती है।
इस कड़ी में, अम्मा की कैनेडा के टोरोंटो की यात्रा जारी है और साथ ही अम्मा का गाया भजन सुनिए…जिनकी करुणा है अपार..!

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