अमृत गंगा 24
अमृत गंगा की चौबीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें दुःखी लोगों को सांत्वना देनी चाहिए। लोग अज्ञानवश, अशिष्टतापूर्ण व्यवहार करते हैं और हमें ऐसी स्थितियों में बोध बनाये रखना चाहिए। हमें दूसरे लोगों की मनःस्थिति व आध्यत्मिक-विकास को समझना चाहिए। जीवन में आने वाली विभिन्न परिस्थितियों को साक्षी भाव से देखना चाहिए। यह वैसा ही है जैसे, तैरना आता हो तो हम लहरों का आनन्द ले सकते हैं; लेकिन जिसे तैरना न आता हो, वो तो डूब सकता है। इसीलिये, जीवन में आध्यात्मिकता की आवश्यकता है। यह अंधश्रद्धा का नाम नहीं बल्कि इससे तो आंतरिक अंधत्व दूर होता है। आध्यात्मिकता हमारी आधारशिला बन जानी चाहिए।
इस कड़ी में अम्मा की वाशिंग्टन डी सी, यू.एस.ए की यात्रा जारी है और इस कड़ी में अम्मा पंजाबी भजन गा रही हैं,..मैया जी मेन्नु तू…

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