अमृत गंगा 21

अमृत गंगा की इक्कीसवीं कड़ी.. अम्मा हमें शास्त्रों और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने को प्रोत्साहित करती हैं; क्योंकि उनसे हमें शिक्षा मिलती है कि महात्माओं ने जीवन में आने वाली परिस्थितियों का कैसे सामना किया। युग कोई भी हो, हमें महाभारत और रामायण से मिलती-जुलती घटनाएं देखने को मिलती रहेंगी। जहाँ-तहाँ, इन ग्रंथों में वर्णित पात्रों जैसे लोग मिलेंगे। हम उनसे सीख सकते हैं कि ऐसी ही परिस्थितियों से वे महात्मा लोग कैसे उबरे। लेकिन हम कितना भी पठन-पाठन कर लें, हमारे लिए आवश्यक हो जाता है कि हम तत्त्वनिष्ठ महात्माओं या गुरुओं से आभ्यासिक शिक्षा प्राप्त करें।

इस कड़ी में, अम्मा की न्यू-यॉर्क, यू.एस.ए की यात्रा जारी है। और अम्मा इस कड़ी में गुजराती भजन गा रही हैं… ‘मीठी मधुरी’.