अमृत गंगा 16
अमृत गंगा की सोलहवीं कड़ी.. यहाँ अम्मा अंध-संत सूरदास के विषय में बता रही हैं जिन्हें सत्य का बोध हुआ और जिन्हें भगवान कृष्ण के दर्शन अपने अन्तर्चक्षुओं से होते थे। अम्मा कहती हैं कि सूरदास जैसे भक्त समस्त जगत को ईश्वर-रूप देखते हैं। उनका अनुभव होता है कि कण-कण में परमात्मा है और परमात्मा से अलग कुछ नहीं है। ऐसे भक्त किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाते और उनका सबके प्रति आदर और विनय का भाव होता है। इसीलिये, अम्मा हमें सबमें ईश्वर का दर्शन करने को कहती हैं। वही सच्ची भक्ति है।
इस कड़ी में, अम्मा अपनी अमेरिका-यात्रा को लॉस एंजेल्स, कैलिफ़ोर्निया में जारी रखते हुए.. हृदयस्पर्शी भजन गा रही हैं..देवी त्रिलोक में !

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