अमृत गंगा 15

अमृत गंगा की पंद्रहवीं कड़ी.. अम्मा हमें नियमित ध्यानाभ्यास और उसमें एकाग्रता की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते रहने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। अम्मा कहती हैं कि ध्यानाभ्यास के कुछ क्षण भी सोने, हीरे-जवाहरात समान अनमोल होते हैं। लेकिन वो हमें चेतावनी भी दे रही हैं कि हम इस सोने और हीरे को कमरे में रख कर दरवाज़ा खुला न छोड़ दें, वर्ना चोरी हो जाएगी। अतः, ध्यान से अर्जित आध्यात्मिक ऊर्जा को हमें बुद्धिमत्तापूर्वक सहेज कर रखना होगा। क्रोध, ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं में हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा व्यर्थ नष्ट हो जाती है।

इस कड़ी में, अम्मा अमेरिका के सैन-रेमॉन, कैलिफ़ोर्निया की यात्रा कर रही हैं। अम्मा इस कड़ी में भावपूर्ण गणपति भजन गा रही हैं…शंकर-नंदन पंकज-लोचन