अमृत गंगा 13
अमृत गंगा की तेरहवीं कड़ी में, अम्मा हमें निठल्ले न बैठने की याद दिला रही हैं। आलस्य हमारी दुर्वासनाओं को बढ़ाती है और व्यायाम की कमी से शरीर में पित्त और कफ़ में भी वृद्धि होती है। कर्म करते रहें तो स्वास्थ्य और उत्साह बने रहते हैं। अम्मा कहती हैं कि भले ही हम कोई बड़े काम न कर सकें, फिर भी छोटे-छोटे कर्म करके बड़ी उपलब्धि पा सकते हैं।
इस कड़ी में अम्मा का यू एस के सीएटल, वाशिंग्टन की यात्रा और उसके रास्ते में श्रीलंका में पहले पड़ाव को दर्शाया गया है। साथ ही उनका भावपूर्ण गाया हुआ कृष्ण-भजन, ‘रामकृष्ण गोविन्द नारायण हरि!’

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