अमृत गंगा 11
अमृत गंगा की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि अनुभव सच्चा गुरु है। यदि हम अनुभवी लोगों के पदचिन्हों पर चलें तो हम एक ही जीवनकाल में वो पा सकते हैं, जिसे पाने में सामान्यतः सैंकड़ों जन्म लग जाते हैं। प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है और आध्यात्मिक क्षेत्र में यह अनुकूलता है – सद्गुरु का सान्निध्य! सद्गुरु हमें हमारी यात्रा पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करते हैं, प्रोत्साहित करते हैं।
इस कड़ी में आगे चल कर, अम्मा की लन्दन-यात्रा और उनका भावपूर्वक गाया हुआ भजन, ललिता ललिता श्रीललिता…प्रस्तुत है।

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