अमृत गंगा 9
अमृत गंगा की नवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि ईश्वर कहीं दूर, बादलों के पार.. स्वर्ण-सिंहासन पर नहीं बैठा। ईश्वर हम सबके भीतर विद्यमान है। जब हम दूसरों की सहायता करते हैं तो हमारे भीतर विद्यमान परमात्मा जागृत हो उठता है। जैसे वृक्ष को बीज के बाहरी खोल को तोड़ कर जन्मना पड़ता है, वैसे ही हमारा स्वरुप भी अभी बीज-अवस्था में है। परमात्मा हमारे भीतर, हमारे अहंकार के खोल के टूटने पर प्रकट होता है।
आगे चल कर, इस कड़ी में अम्मा की फ्रांस के टूलॉन के पास स्थित आश्रम में आगमन और उनके भावपूर्ण गणेश-भजन, हर-सुत अखिल अमंगल-हर.. का आनन्द लीजिये!

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