अमृत गंगा १
अमृत गंगा की पहली कड़ी में, अम्मा हमें बता रही हैं कि ज़िन्दगी हमारी सोच के अनुसार नहीं चलती लेकिन अगर प्रेम और विवेक से काम लें तो क्रोध और घृणा जैसी भावनाओं से ऊपर उठ सकते हैं। अतः हमें अपने वचनों और कर्मों में सावधानी बरतनी चाहिए। अम्मा ने अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगा कर, विश्व भर के लाखों-लाखों लोगों को मानवता से प्रेम व सेवा करने की प्रेरणा दी है।
इस कड़ी में प्रस्तुत है, अम्मा की बार्सलोना, स्पेन की यात्रा और उनका भाव-सहित गाया हुआ गणेश-भजन भी…सुखकर्ता तुम हो…