Category / अमृतगंगा

अमृत गंगा S2-12 अमृत गँगा सीज़न २ की बारहवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि करुणा हमारा स्वभाव है। दूसरों की सहायता करने का भाव हम में अन्तर्निहित है, किन्तु स्वार्थ-भाव करुणा को प्रकट नहीं होने देता। हम दूसरों के दुःख को जान नहीं पाते। स्वार्थ-भाव हमारे हृदय की करुणा को मलिन कर देता […]

अमृत गंगा S2-11 अमृत गँगा, सीज़न 2 की ग्यारहवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें दूसरों पर आश्रित हुए बिना अपने भीतर ही आनन्द खोजना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि दूसरे लोग हमें कभी भी छोड़ कर जा सकते हैं। हम जान लें कि सच्चा सुख तो अपने भीतर ही पाया जा सकता […]

अमृत गंगा S2-10 अमृत गंगा, सीज़न 2 की दसवीं कड़ी में, अम्मा ने कहा कि आज प्रश्न यह नहीं कि ज़्यादा कैसे जियें, बल्कि कैसी ज़िन्दगी जियें! जब तक हमें इसका समाधान अंदर से नहीं मिलता, हमारे जीवन में तृप्ति, सन्तोष का अभाव रहेगा। हम जी रहे हैं लेकिन अंदर दुःख भरा है। हमें अपने […]

अमृत गंगा S2-09 अमृत गँगा सीज़न २ की नवीं कड़ी में, अम्मा बता रही हैं कि कर्म का क्षेत्र बड़ा निगूढ़ है। हमारा जन्म पूर्वजन्मों के कर्मानुसार होता है। कभी-कभी, ग्रहों की प्रतिकूल गति के चलते, हम बेबस हो जाते हैं। अगली साँस तक हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन डरने की कोई बात नहीं। […]

अमृत गंगा S2-08 अमृत गँगा के सीज़न २ की आठवीं कड़ी में, अम्मा कह रही हैं..हालाँकि हमें ऐसा मालूम होता है कि हमारा समय ख़राब चल रहा है..लेकिन असल में समय अच्छा या बुरा नहीं होता। ईश्वर ने अच्छाई या बुराई की छूट हमें दे दी है। जो हमारे अनुभव में आता है, वो इसी […]