अमृत गंगा S2-02 अमृत गंगा सीजन 2 की दूसरी कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि हमें जगत में यूँ रहना चाहिए कि जगत हम में प्रवेश न करने पाए। जगत और इसकी वस्तुएं हमारे दुःख का कारण नहीं बल्कि अपना मन ही दुःख का मूल है। हमें अपनी इच्छाओं,वासनाओं के स्वभाव को समझना चाहिए। वे […]
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अमृत गंगा S2-01 अमृत गंगा सीजन 2 की पहली कड़ी में, अम्मा कह रही हैं कि हम आत्म-जगत में प्रवेश करें! ऐसा तभी हो सकता है यदि हमारे अहम् में कमी आये। अहंकार को छोड़ कर,शेष सब ईश्वर-सृष्टि है। अहंकार, हमारी अपनी सृष्टि है। हमीं ने इसे रचा है और हमें ही इसे मिटाना होगा। […]
अमृत गंगा 32 अमृत गंगा की आज बत्तीसवीं कड़ी में अम्मा बता रही हैं कि हमें अनावश्यक विचारों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। विचार तो आते-जाते रहेंगे लेकिन हमें उन्हें गहरे नहीं जाने देना चाहिए। अगर उन्होंने डेरा डाल लिया तो फिर उन्हें उखाड़ फेंकना कठिन हो जायेगा। हम छोटी पौध को तो आसानी से […]
अमृत गंगा 31 अमृत गंगा की प्रस्तुत इकतीसवीं कड़ी में, अम्मा कहती हैं कि क्षमा करना आसान तो नहीं, पर हमें कोशिश करनी चाहिए। अक्सर, हम दोनों तरफ़ की कहानी तो सुनते नहीं; दोनों को सुनने के बाद ही कुछ निर्णय लेना चाहिए। एक ही पक्ष की बात सुन कर, जल्दबाज़ी और तैश में आ […]
अमृत गंगा 30 अमृत गंगा की तीसवीं कड़ी… अम्मा यहाँ बता रही हैं कि मन विचित्र है! हम पुरानी चीज़ों से ऊब कर, नई खोजते रहते हैं। यहाँ तक कि अपने सम्बन्धों से भी ऊब जाते हैं। बस…नहीं ऊबते तो अपने विचारों से! कई लोगों को तो अपने बचपन की फ़िज़ूल की चीज़ें तक याद […]

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